आयुर्वेद मे गर्भवती स्त्री के लिये एक मापक आहार,विहार और औषध का वर्णन
किया गया है इसी को गर्भिणी परिचर्या का नाम दिया गया है | यदि इसका
अनुपालन किया जाता है तो भविष्य मे होने वाले विभिन्न रोगोँ जैसे
गर्भस्राव,पात,शूल,गर्भ का विकास न होना,सीजेरियन डिलिवरी आदि उपद्रवोँ
से बचा जा सकता है| यह परिचर्या बहुत ही आसान और युगानूरुपी
है,आसानी से इसे अपनाया जा सकता है|
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