बुधवार, 18 जनवरी 2012

raktaj gulama(_~ ovarian cyst), PCOD, ऋतुविकारार्थ रज: प्रवर्तक कतिपय योग ।

पाठको से मेरा अनुरोध है कि आयुर्वेदिक औषधियां लेने से पहले आप अपने फ़िजिशियन से जरुर सलाह ले ।

  1. तिल ६ मासा , भारंगी ६ मासा, एरण्ड मूल, निम्ब ६-६ मासा क्वाथित कर १-२ सप्ताह तक ६ मासा मधु मिला प्रात: सांय ५ बजे पीयें तो कार्य सिद्ध हो ।
  2. मघां, यवक्षार, मैनफ़ल, दन्तीत्वक, इन्द्रायण मूल, तिलकाले, पुराण गुड़, एरण्डकारण मिंगी, इन सब को पीस कर वर्तिकर  सुखा लें ।  हो सके तो छाया मे सुखा ले , बाद मे मलमल का नुतन वस्त्र इन्द्रायण रस मे आर्द्र कर इस मे वत्रिका लपेट पीछे से धागे से लपेट कर भग मे रखें मजबूत धागा हो जो भग से १२ इंच बाहर हो ताकि उसे पकड कर खींचने मे आसानी हो , कम से कम ४-५ घंटे रखने के बाद निकाल कर उस वर्तिका को फ़ेंक दें पुन: ६-७ घंटा के बाद रखें । एवं कई वर्तिकायें रखें जब तक कार्य सिद्ध ना हो । 
  3. यह स्थूलकाय कामनियों के लिये वर है -- शुद्ध रस १ तोला, शुद्ध बलि १ तोला, अभ्रक भस्म, शुध शुल्व भस्म १-१ तोला, त्रिफ़लात्वक ६-६ मासे तीनो,  रियोंद चीनी ३ तोला,  चित्रक मूळ त्वक, शुद्ध गुग्गुलु शुद्ध शिलाजीत ५-५ तोला, त्रिकुटा समवजन ६ तोला, मुस्ब्बर २ तोला, कुटकी ४० तोला, । पूर्व कज्जली कर शेष का महीन चुर्ण कर सब को एकत्र कर कुमारी रस मे २ दिन मर्दन कर, दो दो रत्ती की वरिआं कर सोनें समय १-१ या२-२ वटी यथोचित अनुपान से ले तो ऋतु शुद्ध होकर आवे, ऋतु  के दिन बंद कर एं । २-३ महीने तक गोक्षीर से । इस के लिये कुमार्यासव भी वर है ।
  4. अयस्भस्म, मण्डुर भस्म, हीरा कासीस, अभ्रकभस्म, स्वर्णमाक्षिकभस्म, रससिन्दुर १-१ तोला, एलुवा, शिलाजतु २-२ तोले, कुटकी, शुद्ध गुग्गुल ५-५ तोले, इन सब का सुक्ष्म चुर्ण कर  कुमारी रस मे मर्दन कर २-२ रत्ति की वटियां करें १-२ वटी गोक्षीर से प्रात: सांय दे ।
  5. गुड़ पुरातन ५ तोला, सरनाह की पत्ती ३ तोला, सोया, काले तिल, पटसन तुखम, अमल्तास का गुद्दा १-१ तोला, दोनों मुन्नके २ तोला, फ़ुल गुलाब २ तोले, संधव लवण १ तोला  इन को यथा विधि क्वाथ कर  बोतल मे रख ले  मासिक आने से ८-९ दिन पहले  ही इसे प्रारम्भ कर दे । मात्रा-- ५ तोला प्रथम दिन फ़िर ३-३ तोला रिक्तोदर ।
  6. अन्य शास्त्रीय योग-- कुमार्यासव, रज: प्रवर्तनी वटी , आरोग्यवर्धनी वटी, कासीस भस्म, मण्डूर भस्म, एलुवा, महायोगराज गुगुलु, चंद्रप्रभावटी, हिंग्वष्टक च्रुण, नवायस लोह आदि।