( एच आई वी संक्रमित व्यक्ति अपनी जिन्दगी सामान्य रुप से जीसकता है , बस उसको जरुरत है सजग रहने की )
आयुर्वेद मे लगभग सभी संहिताओं मे ओज का वर्णन किया है , यही मनुष्य का बल होता है यह ओज ही शरीर को रोगों से लडने का बल प्रदान करता है । इस रोग मे इस ओज का ही क्षय होता है , जिसके कारण मनुष्य अकाल मृत्यु का ग्रास बन जाता है । हजारों साल् पहले ही इस रोग का वर्णन आयुर्वेद मे किया गया है ।
एच आई वी संक्रमण कैसे होताहै -- वैसे तो रोग प्रतिरोधक क्षमता एक भगवान की देन होती है ।
मुख्य कारण--
- योन संबंध-- असुरक्षित योन संबध
- पहले से प्रयोग की गई सिरिंज से
- संक्रमित रक्त से
- संक्रमित माता के दुध से उसके बच्चे मे
गुदा मैधुन अत्यधिक गंभीर होता है । मुख मैथुन इनकी आपेक्षा बहुत ही कम गंभीर होता है ।
मुख मैथुन से एच आई वी संक्रमण बहुत ही विरले केस मे मिला है ।
एच आई वी वाईरस के वाहक-- संक्रमित व्यक्ति का तरल --
- रक्त
- योनि तरल
- गुदा तरल
- प्लास्मा
- वीर्य
एच आई वी संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के वाईरल लोड पर निर्भर रहता है , यदि वाईरल लोड ज्यादा रह्ता है तो संक्रमण का ज्यादा खतरा रहता है ।
एच आई वी संक्रमित व्यक्ति विना कुछ लक्षणॊ के भी संक्रमण कर सकता है ।
यदि आपने असुरक्षित योन संबध किया है तो तुरंत ही आप एच आई वी का टेस्ट करवाएं , जल्दी पता लगने पर आप् की चिकित्सा संभव है और एक् बेहतर जीवन जी सकते हो ।
एच आई वी संक्रमण के मुख्य लक्षण--
यद्यपि एच आई वी संक्रमित व्यक्ति कई सालो तक बिना लक्षणॊं के रह सकता है , लक्षण भी एक समान नही होते हैं । एच आई वी स्ंक्रमण की अंतिम अवस्था एड्स के नाम् से जानी जाती है लेकिन आजकल बेहतर इलाज होने के कारण इस अवस्था से बचा जा सकता है ।
- बार बार सर्दी जुकाम लगना
- लो ग्रेड फ़ीवर यानि लगातार बुखार का बना रहना
- शरीर मे फ़ोड़े फ़ुन्सियों का अधिक निकलना
- अतिसार होना ।
- शरीर का अचानक भार कम हो जाना ।
निश्चय् तो टेस्ट करवाने से होता है ।
संक्रमण से बचने के उपाय -- इसका मुख्य उपाय है धर्म का पालन करना । मर्यादा मे रहना । अजनबी से योन संबंध करते वक्त कंडोम का प्रयोग करना । कंडोम इस रोग को रोकने मे ९९% कारगार है।
आधुनिक चिकित्सा मे इसका इलाज-- आजकल एंटी वाईरल ड्रुग से इस रोग की रोकथाम बहुत हद तक हो गई है । लेकिन आधुनिक चिकित्सा मे इसका समुल नाश नही किया जा सकता है , यानि की दवाईयों का प्रयोग पूरी उम्र तक किया जाता है
एच आई वी संक्रमण के बारे आयुर्वेद मे क्या मत है इसका उल्लेख अगले लेख मे किया जाएगा ।