पादयोर्मूलमास्थाय कदाचित्दस्तयोरपि ।
आखोर्विषमिव क्रुद्दं तदेहमुपसर्पति ॥
आधुनिक चिकित्सा मे इस रोग को गाऊट रोग से सामानता की गई है, जिसमे युरीक एसिड बढा मिलता है ।
आयुर्वेदिक चिकित्सा कर्म--- रक्त मोक्षण, विरेचन, आस्थापन तथा तिक्त स्नेह पान ।
अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा-- शरीर का शोधन करने के बाद नवकार्षिक पान-
नवकार्षिक--- त्रिफ़ला, नीम, मंजीठ, वच, कुटकी, गुडुची,तथा दारू हलदी , सभी समान मात्रा मे -
मात्रा - २ ग्रा या आधा चमच सुबह खाना खाने के १ घन्टा बाद ताजे पानी के साथ।
अपथ्य- पनीर, मटर, दालें, आदि प्रोटीन युक्त आहार , रुक्ष आहार, तली हुए भोज्य पदार्थ आदि।
यह योग लगातार कई महीनो तक सेवन करने पर ही असर करता है ।