प्रमुख लक्षण--वेग के साथ खाँसी का होना, व बलगम का कमआना, हृदयप्रदेश, शिर, पेट, पार्श्व मे वेदना, मुख का स्वाद बदल जाना,स्वरभेद होना, व शरीर का बल व ओज का क्षय होना ।
कारण- रुक्ष शीत व कैषेले पदार्थों का सेवन, अल्पाहार या केवल एक रस वाले द्र्व्यों का सेवन करना, उपवास,अतिमैथुन, अधारणीय वेगों() को धारण करना, धुल, धुआँ आदि का सेवन ।
पथ्य-----वमन, शाली चावल, मूँग,कुलथी, दुग्ध, मुन्नका, अडुसा, सोंठ, मरिच, पीपर, मधु, धान की खील, इलायची, गोमुत्र आदि ।
अपथ्य---दुषित वायु, धुल, धुँआ, अधिक पैदल चलना, भारी खाना, मल-मुत्रादि वेगों को रोकना, शीतल अन्नपान, आदि ।
सामान्य चिकित्सा योग----
सितोपलादि चुर्ण, श्रंग्यादि चुर्ण, टंकण, मुलेठी, द्राक्षारिष्ट, पिप्ल्यासव, कनकासव, बनफ़्सा, लवंगादि वटी, एलादि वटी, वासारस भावित हरिद्रा खण्ड, च्यवनप्राश,अगस्त्य हरितकी, आदि ।