स्वरूप तथा लक्षण--
आजकल अधिकतर लोगो मे स्टोन मिलना आम हो गया है कारण है दूषित खान पान । कुछ लोगो मे सहज ही पथरी बनने की प्रक्रिया रहती है उनके गुर्दों मे छोटी छोटी पथरियां बनती ही रहती हैं । जिनको सहज रुप से पथरी बनने की संभावना रहती है उनको विशेष रुप से अपने खान पान पर ध्यान देना चाहिये ।
प्रमुख लक्षण--
पेडु मे दर्द होना और दर्द का नीचे टाँगो और अण्डकोष तक जाना ।
दर्द का पीछे कमर तक अनुभव होना ।
साक्थिसाद -- टाँगो मे भारीपन और थकावट
मुत्र कभी कभी रुक कर आता है ।
आत्यिक अवस्था मे तीव्र पीडा का साथ उल्टियाँ भी आ सकती हैं साथ मे मंद ज्वर की भी आशंका रहती है ।
इन लक्षणों का मिलना पथरी का निदान करता है ।
लेकिन साईज और जगह का पता लगाने के लिये यु एस जी करवाना आवश्यक होता है ।
चिकित्सा--
आयुर्वेद्कि चिकित्सा मुख्य रुप से पथरी की जगह ( पथरी कहाँ बनी हुई है ) और उसके साईज पर निर्भर करती है । मैने ८ मि. मि. तक की पथरियों को आयुर्वेदिक तरीके से निकाला है ।
आहार-- जिनको यह रोग है वो हरी पत्तेदार सब्जीयाँ, टमाटर, अमरुद, पालक , पनीर आदि का परहेज रखें ।
ज्यादा भारी खाना और तला हुआ खाना भी आपको तंग कर सकता है ।
ज्यादा चलना फ़िरना और ज्यादा काम करना भी आपको तंग कर सकता है ।
फ़िल्टर का पानी फ़ायदेमंद रहता है।
खाने मे मूली, गन्ना, सोडा वाटर उपयोगी रहता है ।
आयुर्वेदिक औषधियों मे निम्नलिखित उपयोगी रहती हैं ---
- गोक्षूरादि गुग्गलु
- कुमार्यासव
- शिवाक्षार पाचन चुर्ण
- श्वेत पर्पटी
- गोक्षुर चुर्ण भेड़ के दुध के साथ
- कुल्थी का क्वाथ
- मंजीठ का चुर्ण
- वरुणादि क्वाथ
- त्रिविक्रिम रस
- मूली क्षार
- पलाश क्षार
- गिलो सत्व आदि