रविवार, 20 फ़रवरी 2011

Renal Stone ,अश्मरी , गुर्दे की पथरी

अश्मरी रोग से प्राय: मुत्राशय की पथरी से लिये जाता है , अश्मरी का अर्थ पत्थर होता है ।

स्वरूप तथा लक्षण--
आजकल अधिकतर लोगो मे स्टोन मिलना आम हो गया है कारण है दूषित खान पान । कुछ लोगो मे सहज ही पथरी बनने की प्रक्रिया रहती है  उनके गुर्दों मे छोटी छोटी पथरियां बनती ही रहती हैं । जिनको सहज रुप से पथरी बनने की संभावना रहती है उनको विशेष रुप से अपने खान पान पर ध्यान देना चाहिये ।
प्रमुख लक्षण--
पेडु मे दर्द होना और दर्द का नीचे टाँगो और अण्डकोष तक जाना ।
दर्द का पीछे कमर तक अनुभव होना ।
साक्थिसाद -- टाँगो मे भारीपन और थकावट
मुत्र कभी कभी रुक कर आता है ।
आत्यिक अवस्था मे तीव्र पीडा का साथ उल्टियाँ भी आ सकती हैं साथ मे मंद ज्वर की भी आशंका रहती है ।

इन लक्षणों का मिलना पथरी का निदान करता है ।
लेकिन साईज और जगह का पता लगाने के लिये यु एस जी करवाना आवश्यक होता है ।

चिकित्सा--
आयुर्वेद्कि चिकित्सा मुख्य रुप से  पथरी की जगह ( पथरी कहाँ बनी हुई है ) और  उसके साईज पर निर्भर करती है । मैने ८ मि. मि. तक की पथरियों को आयुर्वेदिक तरीके से निकाला है ।
आहार--  जिनको यह रोग है वो हरी पत्तेदार सब्जीयाँ, टमाटर, अमरुद, पालक , पनीर आदि का परहेज रखें ।
ज्यादा भारी खाना और  तला हुआ खाना भी आपको तंग कर सकता है ।
ज्यादा चलना फ़िरना और ज्यादा काम करना भी आपको तंग कर सकता है ।
फ़िल्टर का पानी फ़ायदेमंद रहता है।
खाने मे मूली, गन्ना, सोडा वाटर उपयोगी रहता है ।
आयुर्वेदिक औषधियों मे निम्नलिखित उपयोगी रहती हैं ---

  1. गोक्षूरादि गुग्गलु
  2. कुमार्यासव
  3. शिवाक्षार पाचन चुर्ण
  4. श्वेत पर्पटी
  5. गोक्षुर चुर्ण भेड़ के दुध के साथ
  6. कुल्थी का क्वाथ
  7. मंजीठ का चुर्ण
  8. वरुणादि क्वाथ
  9. त्रिविक्रिम रस
  10. मूली क्षार
  11. पलाश क्षार 
  12. गिलो सत्व   आदि