- तिल ६ मासा , भारंगी ६ मासा, एरण्ड मूल, निम्ब ६-६ मासा क्वाथित कर १-२ सप्ताह तक ६ मासा मधु मिला प्रात: सांय ५ बजे पीयें तो कार्य सिद्ध हो ।
- मघां, यवक्षार, मैनफ़ल, दन्तीत्वक, इन्द्रायण मूल, तिलकाले, पुराण गुड़, एरण्डकारण मिंगी, इन सब को पीस कर वर्तिकर सुखा लें । हो सके तो छाया मे सुखा ले , बाद मे मलमल का नुतन वस्त्र इन्द्रायण रस मे आर्द्र कर इस मे वत्रिका लपेट पीछे से धागे से लपेट कर भग मे रखें मजबूत धागा हो जो भग से १२ इंच बाहर हो ताकि उसे पकड कर खींचने मे आसानी हो , कम से कम ४-५ घंटे रखने के बाद निकाल कर उस वर्तिका को फ़ेंक दें पुन: ६-७ घंटा के बाद रखें । एवं कई वर्तिकायें रखें जब तक कार्य सिद्ध ना हो ।
- यह स्थूलकाय कामनियों के लिये वर है -- शुद्ध रस १ तोला, शुद्ध बलि १ तोला, अभ्रक भस्म, शुध शुल्व भस्म १-१ तोला, त्रिफ़लात्वक ६-६ मासे तीनो, रियोंद चीनी ३ तोला, चित्रक मूळ त्वक, शुद्ध गुग्गुलु शुद्ध शिलाजीत ५-५ तोला, त्रिकुटा समवजन ६ तोला, मुस्ब्बर २ तोला, कुटकी ४० तोला, । पूर्व कज्जली कर शेष का महीन चुर्ण कर सब को एकत्र कर कुमारी रस मे २ दिन मर्दन कर, दो दो रत्ती की वरिआं कर सोनें समय १-१ या२-२ वटी यथोचित अनुपान से ले तो ऋतु शुद्ध होकर आवे, ऋतु के दिन बंद कर एं । २-३ महीने तक गोक्षीर से । इस के लिये कुमार्यासव भी वर है ।
- अयस्भस्म, मण्डुर भस्म, हीरा कासीस, अभ्रकभस्म, स्वर्णमाक्षिकभस्म, रससिन्दुर १-१ तोला, एलुवा, शिलाजतु २-२ तोले, कुटकी, शुद्ध गुग्गुल ५-५ तोले, इन सब का सुक्ष्म चुर्ण कर कुमारी रस मे मर्दन कर २-२ रत्ति की वटियां करें १-२ वटी गोक्षीर से प्रात: सांय दे ।
- गुड़ पुरातन ५ तोला, सरनाह की पत्ती ३ तोला, सोया, काले तिल, पटसन तुखम, अमल्तास का गुद्दा १-१ तोला, दोनों मुन्नके २ तोला, फ़ुल गुलाब २ तोले, संधव लवण १ तोला इन को यथा विधि क्वाथ कर बोतल मे रख ले मासिक आने से ८-९ दिन पहले ही इसे प्रारम्भ कर दे । मात्रा-- ५ तोला प्रथम दिन फ़िर ३-३ तोला रिक्तोदर ।
- अन्य शास्त्रीय योग-- कुमार्यासव, रज: प्रवर्तनी वटी , आरोग्यवर्धनी वटी, कासीस भस्म, मण्डूर भस्म, एलुवा, महायोगराज गुगुलु, चंद्रप्रभावटी, हिंग्वष्टक च्रुण, नवायस लोह आदि।
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बुधवार, 18 जनवरी 2012
raktaj gulama(_~ ovarian cyst), PCOD, ऋतुविकारार्थ रज: प्रवर्तक कतिपय योग ।
पाठको से मेरा अनुरोध है कि आयुर्वेदिक औषधियां लेने से पहले आप अपने फ़िजिशियन से जरुर सलाह ले ।
शनिवार, 7 जनवरी 2012
रक्तज गुल्म निदान, लक्षण और आज के परिपेक्ष मे इसकी तुलना ,Ovarian Cysts
रक्तगुल्म स्त्रीयों को ही होता है इससे यही सपष्ट होता है कि यह रोग स्त्री के जननांगो यानि गर्भाशय और ओवरी से ही सम्बधित है । वातकारक आहार , विहार और चेष्टाजो की वात को बड़ाती है और नूतन प्रसुता अथवा पहले से ही कुछ योनि रोगों से पीड़ित स्त्री यदि उपरोक्त कारणॊ का सेवन करती है तो कुपित वायु प्रतिमास आने वाले आर्तव को रोक कर या कुछ रोकर इस रोग को पैदा कर देती है । यही रुका हुआ आर्तव गर्भ के लक्षण पैदा कर देता है जैसे की जी का मचलना , कृशता, उल्टी आना, अर्जीण, पेडु मे दर्द आदि आदि ।
रक्त का वात और पित्त के साथ मिल जाने पर वातपित्तजन्य वेदना, जडता, दाह, अतिसार, प्यास, ज्वर, आदि उपद्रव होते हैं । गर्भाशय मे निरन्तर शूल और सपंदन रहता है । यदि ये सभी लक्षण मिलते है तो यह समझ लेना चाहिए कि रक्त गुल्म है ।
आज के परिपेक्ष मे इसको हम ओवेरियन सिस्ट से तुलना कर सकते है । ओवेरियन सिस्ट के निम्न लक्षण मिल सकते हैं----
these are the main symptoms of ovarian cysts.
अगली पोस्ट मे हम इस रोग का आयुर्वेदिक समाधान और चिकित्सा की चर्चा करेंगे ।
रक्त का वात और पित्त के साथ मिल जाने पर वातपित्तजन्य वेदना, जडता, दाह, अतिसार, प्यास, ज्वर, आदि उपद्रव होते हैं । गर्भाशय मे निरन्तर शूल और सपंदन रहता है । यदि ये सभी लक्षण मिलते है तो यह समझ लेना चाहिए कि रक्त गुल्म है ।
आज के परिपेक्ष मे इसको हम ओवेरियन सिस्ट से तुलना कर सकते है । ओवेरियन सिस्ट के निम्न लक्षण मिल सकते हैं----
- Dull aching, or severe, sudden, and sharp pain or discomfort in the lower abdomen (one or both sides), pelivs, vagina, lowerback or thighs; pain may be constant or intermittent—this is the most common symptom
- Fullness, heaviness, pressure, swelling, or bloating in the abdomen
- Breast tenderness
- Pain during or shortly after beginning or end of menstrual period.
- Irregular periods, or abnormal uterine bleeding or spotting
- Change in frequency or ease ofurination (such as inability to fully empty bladder), or difficulty with bowl movement due to pressure on adjacent pelvic anatomy
- Weight gain
- Nausea or vomiting
- Fatigue
- infertiltiy
- Increased level of hair growth
- Increased facial hair or body hair
- Headaches
- Strange pains in ribs, which feel muscular
- Bloating
these are the main symptoms of ovarian cysts.
अगली पोस्ट मे हम इस रोग का आयुर्वेदिक समाधान और चिकित्सा की चर्चा करेंगे ।
मंगलवार, 14 दिसंबर 2010
Polycystic Ovarian disease (PCOD ) महिलाओं मे infertility का मुख्य कारण
- पी सी ओ डी एक आधुनिक युग की देन है । दुर्भाग्य से जो समय महिलाओ मे सन्तान पैदा करने का होता है , वही समय उनके कैरियर बनाने का होता है । अपने कैरियर को बनाने की होड़ मे वो इस समय मे यानि १८ से २९ साल की उम्र मे सन्तान पैदा नही करती है । और जब सन्तान पैदा करने की इच्छुक होती है तो समय निकल जाता है । समय पर सन्तान पैदा न होने के कारण और आधुनिक लाईफ़ स्टाईल जीने से और क्षुब्ध मानसिक परिस्थितियों से अनेक रोगों का जन्म होता जिनमे से पी सी ऒ डी एक है, यह रोग मासिक धर्म की अनियमितता से और स्वभाविक अण्डा पैदा न होने से जुड़ा है ।
मुख्य लक्षण--
अनियमित मासिक धर्म
मासिक धर्म का ना होना या बहुत ही कम होना
मासिक धर्म के समय अत्यधिक पीड़ा का अनुभव होना
शरीर मे मोटापे का बड़ना
चेहरे पर पुरुषों की तरह बालो का उगना
यु एस जी कराने पर ओवरी मे छोटी छोटी गांठो का होना ।
इस रोग से बचने के उपाय--
अपने मोटापे पर क्न्ट्रोल रखे । फ़ास्ट फ़ुड से परहेज रखे । धुम्रपान, मदिरापान आदि से परहेज रखे ।
सादा जीवन जियें और फ़लो और सब्जियो का ज्यादा मात्रा मे प्रयोग करे ।
चावल, लस्सी,कोल्ड ड्रीन्क, और ठन्डे पेय ना ले ।
आहार मे , उड़द की दाल, गाजर, लशुन, प्याज का ज्यादा प्रयोग करें ।
अनानास का प्रयोग बहुत ही उपयोगी पाया गया है ।
आयुर्वेदिक औषधियाँ --
किसीवैद्य की देख रेख मे आप निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग कर सकते हैं
- कुमार्यासव
- दशमुलारिष्ट
- रज:प्रवर्तनी वटी
- कासीस भस्म
- कुमारी घन
- अविपतिकर चुर्ण
- आरोग्यवर्धनी वटी
- एरण्ड तैल
- टैब. हाईपोनिड
- कांचनार गुग्गलु
- खदिरारिष्ट
- मुण्डी कषाय
- हिंग्वष्टक चुर्ण
- टंकण भस्म
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