सोमवार, 27 अप्रैल 2009

मधुमेह यानि डायबेटीज

जौ, कंगुनि,सावां, आदि धान्यों से बनी विविध प्रकार के भोज्य वस्तुएँ लाभ प्रद रहती है । जौ का दलिया या आटे की रोटी बना कर लेना चाहिये। लगातार कई महीनो तक सेवन करने के बाद ही यह अपना पर्याप्त लाभ दिखाता है ।यह रक्तगत शर्करा को और स्थुलता को भी कम करता है ।
   भुने हुए अन्न प्रचुर मात्रा मे प्रयोग करने चाहिये , यदि दांत मजबुत है तो भुने हुए अन्न जैसे कि चनो को चबा चबा कर खाने चाहिये और यदि दांत कमजोर है तो सत्तु बना कर प्रयोग करना चाहिये।

मधुमेह के रोगियों के लिये लस्सी एक बहुत ही उपयुक्त पेय है  इसको जितना प्रयोग कर सकते हो तो करो ।
जितना व्ययाम कर सको उतना करो । हर रोज शरीर की मालिश करने के बाद स्नान करना भी बहुत ही लाभकारी है ।
   
        य तो थी आहार विहार की बात , आयुर्वेदिक औषधियों मे , शिलाजीत, सुदर्शन चुर्ण, चिरायता, गिलोय , करन्ज बीज चुर्ण और अश्वगन्धा चुर्ण, बसन्त कुसुमाकर रस, मेथी दाना, जामुन के बीज, मामजक, विजयसार की लकडी, डोडी पनीर, आदि बहुत सारी औषधियाँ वैद्य की सलाह से प्रयोग करें ।

1 टिप्पणी:

Pankaj kumar ने कहा…

bahut achchhi jaankari hai