यह काला पन लिये हुए भुरे रंग की गोंद जैसी मुलायम और पानी और मदिरा मे घुलने वाली औषोधि होती है , बाजार मे कई प्रतिषिठ कम्पनीयाँ इसे शुद्ध अवस्था मे बेचती हैं । दारु हल्दी के क्वाथ और बकरी के दुध से इस औषधि को बनाया जाता है ।
गुण-- यह कटु , तिक्त, कफ़ , विष तथा नेत्र रोग को दुर करने वाला , उष्ण वीर्य , रसायन , छेदन, एवम व्रण सम्बन्धित रोगों को दुर करने वाला होता है ( भाव प्रकाश)
प्रयोग- खुनी बवासीर _ २५० मि. ग्रा. दिन मे दो बार ताने पानी के साथ और साथ मे इसबगोल पाउडर आधा चमच रात को एक बार ताजे पानी के साथ ,
स्थानिक प्रयोग के लिये- रंसोत को पानी मे घोल कर गुदा प्रक्षालन करें , अर्शांकुर( मस्से) कुछ समय बात समाप्त हो जाएंगे।
हर प्रकार के नेत्राभिष्यंद( आई फ़्ल्यु) ---शुद्ध रसोंत को गुलाब जल मे घोलकर दो दो बुन्दे डाले बहुत फ़ायादा होता है
मुखपाक -- इसका क्वाथ का कुल्ला करने से फ़ायदा होता है ।
सभी प्रकार के घावों मे शहद और रसोंत को मिलाकर लगाने से बीटा डीन से जल्दी घाव को ठीक कर देता है ।
विषम ज्वर ( मलेरिया) मे १ - १ ग्रा. दिन मे दो बार लेने से फ़ायादा होता है ।
शुद्ध रसोंत को चेहेरे की फ़ुन्सियो पर लगाने पर उनको ठीक कर देता है
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