काल
जिसे काल कहते है, वह समस्त एश्व्य्र्य युक्त होता है,किसी से उत्पन्न हुआ नहिं है, आदि मऔर मरण उस काल ही के अधिन होता है. वह सूक्श्मध्य और अन्त रहितहै, रसों की व्यापप्तिऔर संपत्ति तथा प्राणियों वह सुक्श्म कला भर भी नही थहरता नही है.सर्व प्राणियों क संकलन करता है. इसलिये उसे काल ककते है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें