वर्शा कलीन श्जीत जिनके अन्गो को सात्म्य बन गया है: ऎसि पुरूशों में - सुर्य की किर्णों से सहसा ही गरम होने पर वर्शा में स्न्चित पिज्ज शरद काल मे कुपित हो जाता है. इस पित्त को शान्त करने के लिये,तिक्त घ्र्त का पान उत्तम है. बसन्त में कफ के लिये वमन ; वर्शा में वायु के लिये आस्थाअपोअन बस्ति; शरद में पित्तमो़अन करना चाहिए
यद्यपि पित्त के हरण के लिये विरेचन सर्वोत्तम उपाय है; त्थापि शन्ति के लिये एवं शरिर को स्निग्ध करने के लिये तिक्त घ्र्त का पान उत्तम है. ब्गसन्त में कफ के लिये वमन; वर्श में वायु के लिये आस्ताअपनबस्ति ; शरद में पित्त के लिये विरेचन उत्तम है
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