शनिवार, 18 अक्टूबर 2008

आरोग्यवर्धनी वटी

आरोग्यवर्धनी वटी (र. र. स.) आयुर्वेद की एक चमत्कारी एवं असरकारी औषधी है। मैने इसको निम्नलिखित रोगों मे लाभदायक पाया है-
अग्निमांद्य: वज्रकक्षार के साथ मे प्रयोग किया जाता है;
ह्र्दय जन्य शोथ रोग मे: आरोग्यवर्ध्नी वटी को दशमूल क्वाथ और २ ग्राम अर्जुन चूर्ण के साथ :
लीवर के बड्ने पर: पूनर्नवाष्टक क्वाथ और रोहेडा की छाल के साथ।
पीलिया: अवरोधक पीलिया मे इस औषधी को मूली के रस और कुटकी चुर्ण के साथ दिन मे तीन बार लिया जाता है।
त्वचा विकारों मे: सभी त्वचा विकारों मे आरोग्यवर्धनी को महामन्जीष्ठादि क्वाथ के साथ दिया जाता है।
इसके अतिरिक्त इ़स योग को युक्ति पुर्वक विभिन्न रोगों मे प्रयोग किया जाता है:
चेतावनी: आयुर्वेदिक डाक्टर की सलाह से प्रयोग करें।
जीवा आयुर्वेद के लिये
डा. राणा

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