- पी सी ओ डी एक आधुनिक युग की देन है । दुर्भाग्य से जो समय महिलाओ मे सन्तान पैदा करने का होता है , वही समय उनके कैरियर बनाने का होता है । अपने कैरियर को बनाने की होड़ मे वो इस समय मे यानि १८ से २९ साल की उम्र मे सन्तान पैदा नही करती है । और जब सन्तान पैदा करने की इच्छुक होती है तो समय निकल जाता है । समय पर सन्तान पैदा न होने के कारण और आधुनिक लाईफ़ स्टाईल जीने से और क्षुब्ध मानसिक परिस्थितियों से अनेक रोगों का जन्म होता जिनमे से पी सी ऒ डी एक है, यह रोग मासिक धर्म की अनियमितता से और स्वभाविक अण्डा पैदा न होने से जुड़ा है ।
मुख्य लक्षण--
अनियमित मासिक धर्म
मासिक धर्म का ना होना या बहुत ही कम होना
मासिक धर्म के समय अत्यधिक पीड़ा का अनुभव होना
शरीर मे मोटापे का बड़ना
चेहरे पर पुरुषों की तरह बालो का उगना
यु एस जी कराने पर ओवरी मे छोटी छोटी गांठो का होना ।
इस रोग से बचने के उपाय--
अपने मोटापे पर क्न्ट्रोल रखे । फ़ास्ट फ़ुड से परहेज रखे । धुम्रपान, मदिरापान आदि से परहेज रखे ।
सादा जीवन जियें और फ़लो और सब्जियो का ज्यादा मात्रा मे प्रयोग करे ।
चावल, लस्सी,कोल्ड ड्रीन्क, और ठन्डे पेय ना ले ।
आहार मे , उड़द की दाल, गाजर, लशुन, प्याज का ज्यादा प्रयोग करें ।
अनानास का प्रयोग बहुत ही उपयोगी पाया गया है ।
आयुर्वेदिक औषधियाँ --
किसीवैद्य की देख रेख मे आप निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग कर सकते हैं
- कुमार्यासव
- दशमुलारिष्ट
- रज:प्रवर्तनी वटी
- कासीस भस्म
- कुमारी घन
- अविपतिकर चुर्ण
- आरोग्यवर्धनी वटी
- एरण्ड तैल
- टैब. हाईपोनिड
- कांचनार गुग्गलु
- खदिरारिष्ट
- मुण्डी कषाय
- हिंग्वष्टक चुर्ण
- टंकण भस्म