Rakta- Mokshana (Blood-Letting) : रक्त मोक्षण यानि खून का निकलना ,
आयुर्वेद शरीर के शोधन पर यानि शरीर की शुद्धता पर बल देता है यदि शरीर शुद्ध है तो कोई भी विषाणू या जीवाणु या अन्य कारणों से उत्पन्न रोग शरीर मे कभी नही पनपते । यही आयुर्वेद और मोड्रन चिकित्सा विज्यान मे अन्तर है । रक्तमोक्षण भी आयुर्वेद के पंचकर्मों मे गिना जाता है । प्राचीन काल से ही इस क्रिया का आयुर्वेद मे प्रयोग किया जा रहा है , आज भी कुछ परम्परागत लोग रक्तमोक्षण यानि नस को काटते है जिससे विभिन्न रोगों का तुरंत नाश हो जाता है । आस्था आयुर्वेद असंध मे भी रक्तमोक्षण का प्रयोग किया जा रहा है वह भी बहुत ही सुरक्षित ढंग से ।
रक्त मोक्षण से इनरोगों मे बहुत ही आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त होता है--
ग्रधृसी यानि कुल्हे से टांग तक अह्सहनीय दर्द होना (Sciatica)
उच्चरक्तचाप यानि ब्लड्प्रैशर का अधिक होना (High blood Pressure)
विभिन्न प्रकार के चर्म रोगों जैसे की सोरीओसिस, एक्जिमा, एलर्जी , चेहरे की फ़ुन्सीयां आदि ।
प्लीहावृद्धि यानि तिल्ली का बढना
लीवर का बढना आदि ।
रक्तमोक्षण के मुख्य दो प्रकार होते हैं , शस्त्रद्वारा रक्तमोक्षण यानि किसी शस्त्र द्वारा काटकर रक्त का निकलना और शस्त्र रहित यानि जलौका (जोंक ) द्वारा रक्त का निकलना ।
शरद ऋतु मे रक्त का निकलना सबसे उत्तम होता है (in the months of Aswin and Karitka) , फ़िर वैद्य किसी भी ऋतु मे युक्ति पूर्वक रक्त मोक्षण करवा सकता है ।
अधिक जानकरी के लिये आप मुझसे मेरी आयुर्वेदशाला मे संपर्क कर सकते हैं ।
3 टिप्पणियां:
nayi jankari ke liye dhanyavaad!!!!
क्या इस उपचार से व्हेरीकोसिल ठिक हो सकता है
क्या इस उपचार से व्हेरीकोसिल ठिक हो सकता है
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