सोमवार, 25 मार्च 2013

HIV & AIDS and its management in Ayurveda, एच आई वी एवम् ए आई डी एस का आयुर्वेद मे साक्षेप निदान एवम् चिकित्सा सुत्र भाग २

राजयक्ष्मा का आयुर्वेद मे वर्णन किया गया है यह रोगों का राजा होने के कारण ही इसका यह नाम दिया गया है ।
                  अनेकरोगानुगतो बहुरोगषुरोगम:।
                  राजयक्ष्मा क्षय: शोषो रोगराडिति च स्मृत; ॥

अनेक रोगो से अनुगत( बहुत से रोग रोगी को लग जाते हैं , रोगों का समुह )
तथा बहुत से रोग जिसके आगे चलते हैं । क्षय , शोष और रोगराट् इसके पर्याय हैं ।
आयुर्वेद मे इस रोगके प्रारंभिक लक्षण--


             पूर्वरुपं प्रतिश्यायो दौर्बल्यं दोषदर्शनम् ।  अदोषेष्वपि भावेषु काये बीभत्सदर्शनम् ॥
घृणित्वमश्नतश्चापि बलमांसपरिक्षय: । स्त्रीमद्यमांसप्रियता चावगुंठ्ने ॥
माक्षिकाघुणकेशानां तृष्णानां पतनानि च ।...... (चरक)

बार बार सर्दी जुकाम का होना, दुर्बलता, दोषरहित वस्तुओं मे भी दोष देखना , शरीर मे बीभत्स रुप देखना, घृणा करना, भोजन करने पर भी बल और मांस का क्षय हो जाना, स्त्रियों मे मांस भक्षण मे अधिक रुचि का हो जाना आदि ।


आयुर्वेद मे वर्णित इस रोग के ग्याराह लक्षण ( एकादश रुप )

  1. बार बार जुकाम लगना
  2. श्वास ( सांस लेने मे दिक्क्त )
  3. कास ( खांसी )
  4. अंसरुजा ( गर्दन और छाती के उपर भाग मे दर्द या बेचैनी )
  5. शिरोरुजा ( सिर मे दर्द )
  6. अरुचि ( भुख नही लगना )
  7. अतिसार
  8. विट्संग( कब्ज)
  9. वमन
  10. पार्श्वशुल 
  11. ज्वर
इस रोग मे रोगी के मल और शुक्र की रक्षा करनी जरुरी होती है । क्योंकि इस रोग मे  रोगी का मल ही उसका बल होता है ।
इस रोग की आयुर्वेद् मे साध्य- असाध्यता--
बल युक्त और मांसयुक्त रोगी साध्यहोताहै । इसके विपरीत बलहीन और मांसहीन रोगी असाध्य होता है ।
आयुर्वेद मे इस रोग का चिकित्सा सुत्र--
बलवान रोगी मे पंचकर्म लाभदायक ।


आहार व्यवस्था--
  बकरी का दुध, गाय का दुध, जौ के बने पदार्थ भात दलिया रोटी आदि 
लावा, तीतर मुर्गा बटेर के मांस मे अम्ल रस यानि खट्टे पदार्थ डालकर खाना ।
पीपर जौ कुल्थी सौंठ अनार के रस और आंवले के साथ घी मे बना हुआ मांस ।
वारुणी ( सर्वोत्तम मद्य का सेवन करना )
लघुपंचमुल से सिद्द् दुग्ध और जल का सेवन ।
भुमि आमला नामक बुटी से सिद्द् किया हुआ जल हमेशा पीना ।
उत्तरभक्तिकम् -- भोजनोपरांत बलाघृत या रास्ना घृत या दशमुलाद्य्घ्हृत का पान करना ।
खट्टे अनार रस , या खटकल बुटी से युक्त मांसरस (सूप का प्रयोग करना )
औषध व्यवस्था----

  1. अश्वगंधा के सिद्द् किये हुए दुग्ध से निकाले घी को शर्करा और् दुध के साथ पीय़ें ।
  2. अश्वगंधा भस्म को शहद मे डालकर चांटे ।
  3. सितोपलादि चुर्ण का प्रयोग
  4. एलादि चुर्ण ( अं . हृ. )
  5. यवानी षाड्व (चरक)
  6. पंचगव्य
  7. च्यवनप्राश
  8. सह्र्सपुटी अभ्रक भस्म
  9. माणिक्यरस



सोमवार, 4 मार्च 2013

HIV & AIDS and its management in Ayurveda, एच आई वी एवम् ए आई डी एस का आयुर्वेद मे साक्षेप निदान एवम् चिकित्सा सुत्र

एच आई वी संक्रमण--  यह एक वाईरल संक्रमण होता है जो कि शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को धीरे धीरे खत्म कर देता है , फ़लस्वरुप रोगी विभिन्न रोगों से ग्रसित होकर मृत्यु का ग्रास बन जाता है ।

( एच आई वी संक्रमित व्यक्ति अपनी जिन्दगी सामान्य रुप से जीसकता है ,  बस उसको जरुरत है सजग रहने की )

आयुर्वेद मे लगभग सभी संहिताओं मे ओज का वर्णन किया है , यही मनुष्य का बल होता है यह ओज ही शरीर को रोगों से लडने का बल प्रदान करता है ।  इस रोग मे इस ओज का ही क्षय होता है , जिसके कारण मनुष्य अकाल मृत्यु का ग्रास बन जाता है । हजारों साल् पहले ही इस रोग का वर्णन आयुर्वेद मे किया गया है ।

  एच आई वी संक्रमण कैसे होताहै --  वैसे तो रोग प्रतिरोधक क्षमता एक भगवान की देन होती है ।
मुख्य कारण--

  • योन संबंध--  असुरक्षित योन संबध 
  • पहले से प्रयोग की गई सिरिंज से
  • संक्रमित रक्त से 
  • संक्रमित माता के दुध से उसके बच्चे मे 
योन संबंध -- असुरक्षित योन संबध  ही मुख्य कारण  होता है , इसमे  असुरक्षित योनि मैधुन, गुदा मैधुन, मुख्य है
गुदा मैधुन अत्यधिक गंभीर होता है । मुख मैथुन इनकी आपेक्षा बहुत ही कम गंभीर होता है ।

मुख मैथुन से एच आई वी संक्रमण बहुत ही विरले केस मे मिला है ।

एच आई वी वाईरस के वाहक--  संक्रमित व्यक्ति का  तरल --

  • रक्त
  • योनि तरल
  • गुदा तरल
  • प्लास्मा
  • वीर्य
मुख के तरल ( सलाईवा) मे एच आई वी वाईरस नग्न्य होता है }
एच आई वी संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के वाईरल लोड पर निर्भर रहता है , यदि वाईरल लोड ज्यादा रह्ता है तो संक्रमण का ज्यादा खतरा रहता है ।
एच आई वी संक्रमित व्यक्ति विना कुछ लक्षणॊ के भी संक्रमण कर सकता है ।

यदि आपने असुरक्षित योन संबध किया है तो तुरंत ही आप एच आई वी का टेस्ट करवाएं , जल्दी पता लगने पर आप्  की चिकित्सा संभव है और एक् बेहतर जीवन जी सकते हो ।


एच आई वी संक्रमण के मुख्य लक्षण--
यद्यपि एच आई वी संक्रमित व्यक्ति कई सालो तक बिना लक्षणॊं के रह सकता है , लक्षण भी एक समान नही होते हैं ।  एच आई वी स्ंक्रमण की अंतिम अवस्था एड्स के नाम् से जानी जाती है  लेकिन आजकल बेहतर इलाज होने के कारण इस अवस्था से बचा जा सकता है ।

  • बार बार सर्दी जुकाम लगना
  • लो ग्रेड फ़ीवर यानि लगातार बुखार का बना रहना
  • शरीर मे फ़ोड़े फ़ुन्सियों का अधिक निकलना 
  • अतिसार होना ।
  • शरीर का अचानक भार कम हो जाना ।
ये लक्षण मुख्य रुप से होते हैं ,  पर् जरुरी नही है कि ये लक्षण हो , या ये लक्षण हो तो जरुरी नही है कि संक्रमण हो ।
निश्चय् तो टेस्ट करवाने से होता है ।


संक्रमण से बचने के उपाय -- इसका मुख्य उपाय है धर्म का पालन करना । मर्यादा मे रहना ।  अजनबी से योन संबंध करते वक्त कंडोम का प्रयोग करना । कंडोम इस रोग को रोकने मे ९९% कारगार है।



आधुनिक चिकित्सा मे इसका इलाज-- आजकल एंटी वाईरल ड्रुग  से इस रोग की रोकथाम बहुत हद तक हो गई है  । लेकिन आधुनिक चिकित्सा मे इसका समुल नाश नही किया जा सकता है , यानि की दवाईयों का प्रयोग पूरी उम्र तक किया जाता है

एच आई वी संक्रमण  के बारे आयुर्वेद मे क्या मत है इसका उल्लेख अगले लेख मे किया जाएगा ।
                     

बुधवार, 7 नवंबर 2012

शनिवार, 3 नवंबर 2012

Bala aswagandha arishta

Recently I made this ayurvedic medicine . I collected main ingredient ie Bala(Sida cordifolia) from Himalaya region and aswagandha (Withinia sominifera) ,from market ( nagori) and made arishta with same procedure as mentioned in our classical books.
I found this arishta very useful in asthma. ( specially in vatja), various shukra dusti ( semen disorders,loss of libido) . In my practice some patients specially female loss their weight by using this medicine.


मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

THYROID GLAND ( HYPO And HYPERTHYROIDISM ) AND HERBAL REMEDIES :

THYROID GLAND ( HYPO And HYPERTHYROIDISM ) AND HERBAL REMEDIES :

The thyroid gland—what is it? What does it do? What happens when it doesn’t work as it is meant to? What is naturopathic medicine and what does it have to offer over conventional medicine? These are the types of questions you may be asking, and these are the types of questions that will be answered in this article.

# Under-active or over-active thyroid :

Thyroid-related problems—both an under-active or over-active thyroid- can impact your energy levels, fertility, mood, weight, sexual interest and ability to think clearly. Thyroid-related problems can affect ALL your daily activities.

When a wholistic, naturopathic physician is treating an individual with a thyroid disorder, they see a whole person in front of them and not just a thyroid gland! A naturopathic physician will be very interested in prevention and will use primarily natural, holistic methods to treat thyroid disorders and will treat you with vitamins, supplements, diet, lifestyle changes and bio-identical hormone replacements rather than only with prescription drugs. Naturopaths will also use certain drugs in the treatment of some thyroid disorders, but with the goal of minimizing the drugs used and maintaining thyroid function as much as possible. A naturopath will also be interested in maximizing your overall health while working to improve your thyroid function and finding, if possible, the cause of the problem. That cause may be stress, poor nutrition, a tendency towards inflammatory conditions or some other cause.

The thyroid gland plays a central role in maintaining energy levels, temperature, weight, clear thinking, the sensitivity of the body to other hormones and the synthesis of proteins. It is located at the base of the neck and wraps around the front of the neck. The two conditions that affect the thyroid are hypothyroid (an UNDERactive thyroid) and hyperthyroid (an OVERactive thyroid). It sometimes takes years for thyroid problems to develop.

@ The most common form of hypothyroid is Hashimoto’s thyroiditis 

The most common form of hypothyroid is Hashimoto’s thyroiditis -an autoimmune disorder where the body is producing antibodies to the thyroid and leads to decreased production of thyroid hormones. The most common cause of hyperthyroid is Graves’ disease—this is also an autoimmune disorder, but in Graves’ disease, the antibodies stimulate thyroid hormone production and you get too much. Some thyroid disorders occur after or during pregnancy, after viral or bacterial infections or after long periods of stress . Both hypo- and hyper-thyroid occurs predominantly in women starting at the ages of 30-40. Some cases of Graves’ disease have been associated with heavy metals and prescription drugs.

T4 and T3 are the main thyroid hormones. Iodine is a critical nutrient for the proper functioning of the thyroid gland. (the numbers 4 and 3 represent the number of iodine atoms per molecule of hormone.)

# Thyroid disease is diagnosed by both physical symptoms and lab results. 

# General Holistic Approaches to Thyroid (BOTH HYPO- AND HYPER) 

# Diet and Lifestyle :

A whole-food (non-processed) organic diet is strongly recommended for maintaining health. If you are iodine deficient, use seaweed in cooking for its iodine content. Avoid alcohol, tobacco and particularly drugs such as lithium, thionamides, alpha interferon, interleukin-2, cholestyramine, perchlorate, expectorants, aluminum hydroxide and raloxifene.

Minimize stress: Techniques used to modify stress include deep breathing exercises, yoga, tai chi, and biofeedback.

A moderate level of exercise is also recommended. A 20-30 minute walk a day can do wonders!

If you are hypothyroid, avoid or limit certain foods that can affect the thyroid (goitrogens) such as cabbage, turnips, Brussels sprouts, rutabagas, broccoli, cauliflower and bok choy. Goitrogens interfere with iodine uptake in the thyroid.

If you are hyperthyroid, increase your intake of these foods (goitrogens).

# Holistic Approaches to HypoThyroid States :

SUPPLEMENTS:

Minerals: 
• Iodine: 150-1500 mcg/day (or ~ ½ -3 teaspoons a day of iodized table salt)
• Selenium: 200-400 mcg/day 
• Zinc: 20-40 mg/ day. Take Zinc along with Copper (4-5mg/day) to prevent copper deficiency.

Vitamins:
• A good, whole-food vitamin preparation is always recommended. A whole-food vitamin is derived from food (rather than synthesized in a lab) and is produced from the food with minimal processing.
• 2-3 grams of omega-3 fish oils every day. If you have been diagnosed with Hashimoto’s thyroiditis, increase this to 3-4 grams every day. Fish oils are anti-inflammatory and help reduce the auto-antibodies.
• To help maintain health and energy levels, take 2-3 times the RDA of B-vitamins.
• Anti-oxidants such as beta-carotene (3-6 mg/day), Vitamin C (1000-3000mg/day) and Vitamin E (400-800IU/day)
• Vitamin D: 1000-2000IU each day

# Herbs:

•Anti-inflammatory botanicals for Hashimoto’s thyroiditis. You can use these in cooking and enjoy a more flavorful diet as well!
• Curcuma longa/Turmeric 
• Capsicum/Cayenne pepper
• Olive oil
• Zingiber/Gingero 
• Boswellia
• Grape seed extract
• Pycnogenol
• Green tea

# Holistic Approaches to HyperThyroid States: 

SUPPLEMENTS:

Minerals: 
• AVOID table salt and other foods that contain iodine
• Selenium: 200-400 mcg/day
• Zinc: 20-40 mg/ day. Take Zinc along with Copper (4-5mg/day) to prevent copper deficiency.
• Calcium:(Graves’ disease patients are more susceptible to osteoporosis)

# Vitamins and other supplements:
• A good, whole-food vitamin preparation is always recommended. A whole-food vitamin is derived from food (rather than synthesized in a lab) and is produced from the food with minimal processing.
• 2-3 grams of omega-3 fish oils every day. If you have been diagnosed with Graves’ disease, increase this to 3-4 grams every day. Fish oils are anti-inflammatory and help reduce the auto-antibodies.
• To help maintain health and energy levels, take 2-3 times the RDA of B-vitamins.
• Anti-oxidant vitamins:
• Vitamin C: 2000mg/day
• Vitamin E : 400-800 IU/day
• l-carnitine: 2 to 4 g/day. l-carnitine has been shown to inhibit thyroid hormone. 
• CoQ10: 50 to 100 mg/day. CoQ10 has been shown to be deficient in hyperthyroidism. 

# Herbs : 

Only use these botanicals with the advice of a qualified naturopathic physician. Even natural products can cause harm if used incorrectly!

• The anti-thyroid botanicals block the TSH receptors in the cells and inhibit the conversion to T3, minimizing the hyperthyroidism:
• Lycopus spp.
• Lithospermum officinale
• Melissa officinalis
• Iris versicolor
• Emblica officinalis

# Home Remedies For Thyroid Problem :

A fine paste made of the vegetable jalakumbhi (Pistia straticies) applied over the affected part helps in reducing the swelling. The juice obtained from the jalakumbhi should be given in doses of II to 22 gm a day. It increases the amount of iodine, the lack of which, according to Allopathy, is one of the factors responsible for the disease.
Coconut oil offers much promise today to sufferers of hypothyroidism and slow metabolism. It is a known fact that the fatty acid chains in coconut oil, known as medium chain fatty acids (MCFAs) or medium chain triglycerides (MCTs), offer wonderful health benefits and are no where found more abundantly in nature outside coconut oil. For the hypothyroid sufferer the MCTs rev up the body's sluggish metabolism 

# Yoga :
Sarvangasna (shoulder stand) is the most suitable and effective asana for the thyroid gland. 

# Pranayama :
The most effective Pranayama for thyroid problems is Ujjayi.

Ayurvedic medicine has a strong historical background of effective treatment of various diseases, including thyroid disease.

बुधवार, 18 जनवरी 2012

raktaj gulama(_~ ovarian cyst), PCOD, ऋतुविकारार्थ रज: प्रवर्तक कतिपय योग ।

पाठको से मेरा अनुरोध है कि आयुर्वेदिक औषधियां लेने से पहले आप अपने फ़िजिशियन से जरुर सलाह ले ।

  1. तिल ६ मासा , भारंगी ६ मासा, एरण्ड मूल, निम्ब ६-६ मासा क्वाथित कर १-२ सप्ताह तक ६ मासा मधु मिला प्रात: सांय ५ बजे पीयें तो कार्य सिद्ध हो ।
  2. मघां, यवक्षार, मैनफ़ल, दन्तीत्वक, इन्द्रायण मूल, तिलकाले, पुराण गुड़, एरण्डकारण मिंगी, इन सब को पीस कर वर्तिकर  सुखा लें ।  हो सके तो छाया मे सुखा ले , बाद मे मलमल का नुतन वस्त्र इन्द्रायण रस मे आर्द्र कर इस मे वत्रिका लपेट पीछे से धागे से लपेट कर भग मे रखें मजबूत धागा हो जो भग से १२ इंच बाहर हो ताकि उसे पकड कर खींचने मे आसानी हो , कम से कम ४-५ घंटे रखने के बाद निकाल कर उस वर्तिका को फ़ेंक दें पुन: ६-७ घंटा के बाद रखें । एवं कई वर्तिकायें रखें जब तक कार्य सिद्ध ना हो । 
  3. यह स्थूलकाय कामनियों के लिये वर है -- शुद्ध रस १ तोला, शुद्ध बलि १ तोला, अभ्रक भस्म, शुध शुल्व भस्म १-१ तोला, त्रिफ़लात्वक ६-६ मासे तीनो,  रियोंद चीनी ३ तोला,  चित्रक मूळ त्वक, शुद्ध गुग्गुलु शुद्ध शिलाजीत ५-५ तोला, त्रिकुटा समवजन ६ तोला, मुस्ब्बर २ तोला, कुटकी ४० तोला, । पूर्व कज्जली कर शेष का महीन चुर्ण कर सब को एकत्र कर कुमारी रस मे २ दिन मर्दन कर, दो दो रत्ती की वरिआं कर सोनें समय १-१ या२-२ वटी यथोचित अनुपान से ले तो ऋतु शुद्ध होकर आवे, ऋतु  के दिन बंद कर एं । २-३ महीने तक गोक्षीर से । इस के लिये कुमार्यासव भी वर है ।
  4. अयस्भस्म, मण्डुर भस्म, हीरा कासीस, अभ्रकभस्म, स्वर्णमाक्षिकभस्म, रससिन्दुर १-१ तोला, एलुवा, शिलाजतु २-२ तोले, कुटकी, शुद्ध गुग्गुल ५-५ तोले, इन सब का सुक्ष्म चुर्ण कर  कुमारी रस मे मर्दन कर २-२ रत्ति की वटियां करें १-२ वटी गोक्षीर से प्रात: सांय दे ।
  5. गुड़ पुरातन ५ तोला, सरनाह की पत्ती ३ तोला, सोया, काले तिल, पटसन तुखम, अमल्तास का गुद्दा १-१ तोला, दोनों मुन्नके २ तोला, फ़ुल गुलाब २ तोले, संधव लवण १ तोला  इन को यथा विधि क्वाथ कर  बोतल मे रख ले  मासिक आने से ८-९ दिन पहले  ही इसे प्रारम्भ कर दे । मात्रा-- ५ तोला प्रथम दिन फ़िर ३-३ तोला रिक्तोदर ।
  6. अन्य शास्त्रीय योग-- कुमार्यासव, रज: प्रवर्तनी वटी , आरोग्यवर्धनी वटी, कासीस भस्म, मण्डूर भस्म, एलुवा, महायोगराज गुगुलु, चंद्रप्रभावटी, हिंग्वष्टक च्रुण, नवायस लोह आदि।